
समुद्र पार करने के भी बाद उसकी किस्मत नहीं बदली थी। पर थोड़ी देर के लिए रुक गई थी। हो सकता है कि साँस लेने के कुछ पल के लिए रुक गई हो। लेकिन वो लड़की कभी भी नहीं रुकी। हर मुश्किल का सामना करती रही क्योंकि उसको अपने से अधिक अपनी मुहबत में विश्वास था। इसी विश्वास की वजह से वो फिर से अपने वतन लौट आई थी।उसका दिल भी वही था, उसके अरमान भी वही थे, बस फर्क सिर्फ इतना था कि वह अब एक छोटी लड़की नहीं थी। जो आंसू रूके हुए एक अरसा बीत गया था। वो उसको देख कर एक तूफ़ान की तरह बह गए थे। जो दर्द उसने अपने दिल में छुपा रखा था वो अब एक ही पल में बाहर आ गए था। उसका खोया हुआ पल फिर से मिल गया था पर दूर खड़ी उसकी किस्मत उस पर हँस रही थी।
लेकिन वो सोचा करती थी कि इंसान अपनी किस्मत खुद बनाता है। उसकी यह सोच गलत थी। उसको अपने से अधिक अपनी मुहाबत पर यक़ीन था। उसकी सोच ग़लत थी कि सभी लोग अपने दिल से बात करते है। वो यह मानने के लिए तैयार नहीं थी कि इन्सान के चेहरे के दो रूप होते है जिसमें एक दिखाने वाला होता है जिसको दुनिया हर रोज़ देखती है। इंसान उस चेहरे को खूब सजा के रखता है। पर एक चेहरा इन्सान के भीतर छुपा होता है। यो सिर्फ वक्त आने पर दिखाई देता है।
कहते है खुदा के घर में देर है पर अंधेर नहीं है। हर एक इन्सान को सज़ा मिलती है। उसकी सजा देने की भी अलग ही कला है जिसको सिर्फ वही समझ सकता है। सुना है उस रात उस छोटी सी बच्ची की चीके लोगो के कानों से गुज़र कर खुदा के दरबार में जा पहुंची थी। कहते है खुदा ने उसके गुनाहकारो को ऐसी सजा दी कि उन सब को अपनी गलती का अहसास हुआ था। लेकिन उस लड़की के लिया तो देर हो चुकी थी। कलयुग का अंधरे ने लड़की पर अपना कब्ज़ा पूरी तरह से कर लिया था।
उस को अपने पे अधिक अपने उस प्रेमी से विश्वाश था। उसको अपनी मुहाबत पे गरूर था। लोग कहते थे खुदा आपका शुक्रिया कि आप ने इस औरत को ख़ुशी का फिर से अवसर दिया है। वो उसके लिया कोहिनूर का हीरा था और उसके प्यार के इलावा उसको और कुछ नहीं चाहिए था।
किसी ने उसको कहा जिसको खुदा कह होती हो अजमा के तो देख लो। तुम्हारी आँखों में बन्दी यह पटी कुछ ही पलों में खुल जाएगी। किसी ने वो ठीक ही कहा था। आँखों से सिर्फ पटी ही नहीं उत्तरी थी बल्कि उसकी रूह के भी टुकड़े हो गए थे। कहते है उसकी आंसू इतने जबरदस्त थे कि उसके चेहरे की चमड़ी भी उत्तर गई थी। पर उसकी मुहबत का बादशाह आराम से सोता रहा। ठीक उसकी नाक के नीचे लोगों ने उस औरत की रूह को आये दिन हलाल किए था।
टुटा हुआ दिल और जख्मी हुई रूह को ले कर वो अपनी गुफा में वापस चली गई है। उसने अपने दिल की दीवारे को किले की तरह मजबूत कर लिया है। उस दीवारों को मजबूत करते हुए उसने अपने दिल से बहुत कुछ निकल के किले के बाहर ही छोड दिया। उन में से कुछ को खुशी , सपना, और चाहते कहते है। उसका दिल ही नहीं टुटा था उसकी जिंदगी ख़तम हो चुकी है। बस अब तो उसको सांसो का चक्र पूरा करना है। शायद उसके लिया यह खुदा की सज़ा थी किसी इन्सान को अपना खुदा मानने के लिया।और वो उस सज़ा को सिजदा करती है।
जब वह अपनी मातृभूमि में लौटी, तो उसको सामने देखकर उसे एहसास हुआ था कि वह स्वर्ग में घूम रही है। लेकिन वह इस तथ्य से बेखबर थी कि उसके शैतान और दानव भी उसके साथ चल रहे है। इस में कोई शक नहीं के उसने उसको इतना प्यार दिया था कि उसके बगैर अब वो जीना ही भूल गई। वह उसको कहता भी था कि तुम मेरे बिन जीना भूल जायोगी। इस बार फिर खुदा ने अपने ही ढंग से उसको इन्साफ दिया।
हैरानगी की बात है वो चाहते हुए भी उसकी मुहाबत को छीनने वालों से नफरत नहीं कर सकी क्यूंकि वो और नहीं उसके अपने ही थे। वो सच ही कहा करती थी के मुन्ना बनना सब के लिया नहीं है। कहती तो वो आज वी वही है पर थोड़ा सा बदल के,” सारा बनना बहुत आसान है पर मुन्ना बनना इतना आसान नहीं। कैसे कोई मुन्ना बन सकता है जब यहां पर उसके अबू , पिता जी, और चाचू जैसा लोग नहीं है। सारा बनना आसान है बस कुछ ऐसे चेहरों की जररूत है जो दिल में छुरी और होठों पर मुस्कान ले कर चलते हो।
एक बार जब सोचती थी एक व्यक्ति अपनी किस्मत को खुद बनाता है। हालाँकि, उसके जिन्दगी के उतरवों और फिसलन उसे अच्छी तरह सिखाया था कि , “सर्वोच्च शक्ति हमारे जन्म से पहले ही हमारी किस्मत को लिखता है।”
लेकिन अब वह सोचती है, ” मेरे जीवन में दो महिलाएँ और एक आदमी था जिन पर मैंने वास्तव में उन पे भरोसा और प्यार किया था। उन्होंने मेरी किस्मत का फैसला किया है । उनके के लिया मेरे दिल में सम्मान और विश्वास के कारण ही में अपनी ही किस्मत से हार गई। मेरी माँ ने मेरे कर्म का फैसला किया जब मैं सिर्फ एक बच्ची थी । मेरी खुशी या इच्छाओं के ख़िलाफ़ फैसला किया था। दूसरी महिला मेरी तथाकथित बहन थीं जिस के हर शब्द मैंने भरोसा किया और उस आदमी को जिसने मैंने अपना सब कुछ दिया था उन तीनो ने मेरे जीवन का अंतिम निर्णय लिया था । तीनो के अलग-अलग इरादे थे, लेकिन उन्होंने उसके लिए एक ही रास्ता चुना था। खैर, हर कोई मेरी तरह पागल नहीं हो सकता। काश तीनो मेरे दिल और आत्मा के अंदर देख पाते कि मैं क्या चाहती थी। तीनो ने अपनी इच्छाओं, सपनों और खुशी को पूरा किया पर यह जानने की कोशिश नहीं किया है कि वो किसी की रूह को जिन्दा दफन कर रहे है। यह उनका कोई कसूर नहीं है क्युकि इन्सान का स्वार्थी होना जन्मसिद्ध अधिकार है। “
असीम दर्द है उसके दिल में कभी वो प्यार बनने के सामने आता है और कभी नफ़रत बन कर। पर सूर्य छुपने से पहले सिर्फ उसकी खामोश आँखों में सिर्फ एक ही लक्ष्य होता है,”Complete this cycle of life quickly and wait for the actual decision day in the afterlife.”
ऐसी क्या चीजें होती है, लोग होते है, जो किसी को इतना निष्ठुर बना सकते है ?
सारा, आपके लेखन में भावनाओं, दर्द और संवेदनाओं का जाल बन जाता है, जिसमें कहानी का मुख्य पात्र आसपास के लोगों से घिरा है, उनसे छुटकारा पाना चाहता है । प्रश्न पूछता है |
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